प्रदाय का मूल्य
कर के हर कानून में कराधेय (टैक्सेबल) मूल्य के निर्धारण का प्रावधान किया जाता है जो सामान्य रूप से मूल्यानुसार देय होता है। जीएसटी में भी कर मूल्यानुसार अर्थात वस्तुओं अथवा सेवाओं के मूल्य के निर्धारित प्रतिशत के आधार पर देय होता है। सीजीएसटी अधिनियम की धारा 15 तथा सीजीएसटी नियमावली, 2017 के नियम 27 से 35 में विभिन्न परिस्थितियों में तथा विभिन्न व्यक्तियों के लिए वस्तुओं अथवा सेवाओं के प्रदाय के मूल्य निर्धारण के संबंध में किए गए प्रावधान उपलब्ध हैं।
संव्यवहार मूल्य
जीएसटी कानून के अधीनकर योग्य मूल्य, संव्यवहार मूल्य अर्थात वस्तुतः संदत्त अथवा देय कीमत है बशर्ते प्रदायकर्ता तथा प्रापक संबंधित न हों तथा कीमत एकमात्र प्रतिफल हो। नियमित सामान्य व्यापार के अधिकांश मामलों में, बीजक मूल्य कर योग्य मूल्य होगा। तथापि, कतिपय विशिष्ट संव्यवहारों का मूल्य निर्धारित करने के लिए प्रावधान सीजीएसटी नियमावली, 2017 में विहित किया गया है।
अनिवार्य समावेशन
जीएसटी विधि को छोड़कर किसी अन्य विधि के अंतर्गत लगे किन्हीं प्रभारों, प्रदायकर्ता की ओर से प्रापक द्वारा किए गए व्ययों, आपूर्तिकर्ता द्वारा किए गए आनुषंगिक व्ययों जैसे कि कमीशन एवं पैकिंग, ब्याज अथवा विलंब शुल्कों अथवा विलंबित भुगतान के लिए शास्ति तथा प्रत्यक्ष सब्सिडी (सरकारी सब्सिडी को छोड़कर) को कीमत में जोड़ा जाना अपेक्षित है (यदि पहले से नहीं जोड़ा गया हो) ताकि कर योग्य मूल्य निकाला जा सके ।
छूटों का अपवर्जन
छूटें जैसे कि व्यापारिक छूट, परिमाण छूट इत्यादि सामान्य व्यापार और वाणिज्य के भाग हैं। इसलिए प्रदाय-पूर्व छूटों अर्थात बीजक में दर्ज छूटों को कर योग्य मूल्य का निर्धारण करते समय अपवर्जित किए जाने की अनुमति दी गई है। आपूर्ति के बाद प्रदत्त छूटों को भी कर योग्य मूल्य का निर्धारण करते समय अपवर्जित किया जा सकता है बशर्ते दो शर्तों को पूरा किया जाता हो, अर्थात
(क) छूट आपूर्तिकर्ता तथा प्रापक के बीच एक आपूर्ति-पूर्व करार के संदर्भ में दी जाती है और ऐसी छूट प्रासंगिक बीजकों से संबद्ध हो।(ख) छूटों के कारण हु ए इनपुट टैक्स क्रेडिट को प्रापक द्वारा प्रतिवर्तित किया जाता हो।
कर योग्य मूल्य जब प्रतिफल धन के रूप में ही न हो
कुछ मामलों में जहां आपूर्ति के लिए प्रतिफल धनके रूप में ही न हो तो कर योग्य मूल्य का निर्धारण नियमों में विहित किए गए अनुसार किया जाना होता है। ऐसे मामलों में कर योग्य मूल्य का निर्धारण करने के लिए निम्नलिखित मूल्यों को क्रमिक रूप से लिया जाना होता है:
i. ऐसी आपूर्ति का खुला बाजार मूल्यii. आपूर्ति का कुल मुद्रा मूल्य अर्थात मौद्रिक प्रतिफल + गैर मौद्रिक प्रतिफल का मुद्रा मूल्यiii. सदृश प्रकार तथा गुणवत्ता की आपूर्ति का मूल्यiv. लागत पर आधारित आपूर्ति का मूल्य अर्थात आपूर्ति की लागत +10% मार्क- अपv. जीएसटी विधि के सिद्धान्तों तथा सामान्य उपबंधों के अनुरूप तर्कसंगत उपायों का उपयोग करते हुए निर्धारित आपूर्ति का मूल्य (सर्वोत्तम मूल्यांकन विधि)
खुला बाजार मूल्य का तात्पर्य जीएसटी विधि के अधीन करों को छोड़कर मुद्रा के पूर्ण मूल्य से है जो किसी व्यक्ति द्वारा उस समय ऐसी आपूर्ति प्राप्त करने के लिए देय है, जब मूल्यांकित की जा रही आपूर्ति की जाती हो, बशर्ते ऐसी आपूर्ति असंबद्ध व्यक्तियों के बीच की जाती है और ऐसी आपूर्ति के लिए एकमात्र प्रतिफल कीमत है। सदृश प्रकार एवं गुणवत्ता की आपूर्ति का तात्पर्य वैसी ही परिस्थितियों के अर्न्तगत की गई किसी अन्य आपूर्ति से है जो मूल्यांकित की जा रही आपूर्ति के समान हो अथवा विशेषताओं, गुणवत्ता, परिमाण, कार्यात्मकता, ख्याति के संबंध में लगभग उसके जैसी ही हो। निदर्शनः (1) जहां पुराने फोन के विनिमय के साथ नए फोन की आपूर्ति 20000/- रुपये में की जाती है और यदि बिना विनिमय के नए फोन की कीमत 24000/- रुपये है तो नए फोन का खुला बाजार मूल्य 24000/-रुपये है। (2) जहां प्रिटंर जो प्रापक द्वारा विनिर्मित किया गया हो, के विनिमय के साथ किसी लैपटॉप की आपूर्ति 40000/- रुपये में की जाती है और आपूर्ति के समय प्रिटंर का ज्ञात मूल्य 4000/- रुपये है किन्तु लैपटॉप का खुला बाजार मूल्य ज्ञात नहीं है तो लैपटॉप की आपूर्ति का मूल्य 44000/- रुपये है। भिन्न-भिन्न तथा संबंधित व्यक्तियों (अभिकर्ताओं को छोड़कर) के बीच आपूर्ति का मूल्य कोई व्यक्ति जो दसरे व्यक्ति के प्रभाव में होता है उसे संबंधित व्यक्ति कहा जाता है जैसे कि एक ही परिवार के सदस्य अथवा एक ग्रुप कंपनी की सहायक कम्पनियाँ इत्यादि| जीएसटी विधि के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियां विनिर्दिष्ट की गई हैं और चूंकि दो संबंधित व्यक्तियों के मध्य संबंध के आधार पर कीमत प्रभावित हो सकती है, इसलिए संबंधित व्यक्तियों के मध्य संव्यवहार का कर योग्य मूल्य प्राप्त करने के लिए विशेष मूल्य निर्धारण नियम बनाया गया है। ऐसे मामलों में कर योग्य मूल्य का निर्धारण करने के लिए निम्नलिखित मूल्यों को क्रमिक रूप से लेना होता हैः
i. खुला बाजार मूल्यii. सदृश प्रकार तथा गुणवत्ता की आपूर्ति का मूल्यiii. लागत के आधार पर आपूर्ति का मूल्य अर्थात आपूर्ति की लागत + 10% मार्क-अप।iv. जीएसटी विधि के सिद्धान्तों तथा सामान्य उपबंधों के अनुरूप तर्कसंगत उपायों का उपयोग करते हुए निर्धारित आपूर्ति का मूल्य (सर्वोत्तम मूल्यांकन विधि)
तथापि, यदि प्रापक पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट का पात्र है तो बीजक मूल्य को कर योग्य मूल्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा। यह भी प्रावधान किया गया है कि जहां आपूर्ति की जा रही वस्तुएं वस्तुतः प्रापक द्वारा भी आपूर्ति के लिए अभिप्रेत हों तो मूल्य आपूर्तिकर्ता के विकल्प पर प्रापक द्वारा असंबंधित ग्राहक को सदृश प्रकार तथा किस्म की वस्तुओं की आपूर्ति के लिए प्रभारित कीमत के 90% के समतुल्य राशि होगा। किसी अभिकर्ता के जरिए आपूर्ति की गयी अथवा प्राप्त वस्तुओं का मूल्य क) आपूर्ति किये जा रहे माल का खुला बाजार मूल्य अथवा आपूर्तिकर्ता के विकल्प पर प्रापक द्वारा उसके असंबद्ध ग्राहक को सदृश प्रकार और गुणवत्ता की वस्तुओं की आपूर्ति के लिए प्रभारित कीमत का 90% | निदर्शन: जहां कोई प्रधान अपने अभिकर्ता को मूंगफली की आपूर्ति करता हो और अभिकर्ता आपूर्ति के दिन 5000/- रु प्रति क्विंटल की कीमत पर उत्तरवर्ती आपूर्तियों में सदृश प्रकार तथा गुणवत्ता की मूंगफली की आपूर्ति कर रहा है। अन्य स्वतंत्र आपूर्तिकर्ता 4550/- रु प्रति क्विंटल की कीमत पर उक्त अभिकर्ता को सदृश प्रकार तथा गुणवत्ता की मूंगफली की आपूर्ति कर रहा है | प्रधान द्वारा की गयी आपूर्ति का मूल्य 4550 /- रु प्रति क्विंटल होगा अथवा जहां वह विकल्प का प्रयोग करेगा, वहां मूल्य 5000/- रु का 90% अर्थात 4500 प्रति क्विंटल होगा। ख) यदि (क) के तहत मूल्य का निर्धारण नहीं किया जा सकता तो कर योग्य मूल्य का निर्धारण करने के लिए निम्नलिखित मूल्यों को क्रमिक रूप से लेना होता हैः-
i. लागत के आधार पर आपूर्ति का मूल्य अर्थात आपूर्ति की लागत +10% मार्क- अपii. जीएसटी विधि के सिद्धान्तों तथा सामान्य उपबंधों के अनुरूप तर्कसंगत उपायों का इस्तेमाल करके निर्धारित आपूर्ति का मूल्य (सर्वोत्तम मूल्यांकन विधि)
वास्तविक अभिकर्ता (Pure agent) के मामले में सेवाओं की आपूर्ति का मूल्य कतिपय शर्तों को पूरा करने के अध्यधीन सेवा की आपूर्ति के प्रापक के वास्तविक अभिकर्ता के रूप में आपूर्तिकर्ता द्वारा उपगत व्यय एवं लागतों को आपूर्ति के मूल्य से अपवर्जित किया जाना होता है। निदर्शन: निगमित सेवा फर्म ए कंपनी बी के निगमीकरण से संबंधित विधिक कार्य का निपटान करने के लिए नियोजित है। अपने सेवा शुल्कों के अलावा कंपनी ए, रजिस्ट्रार को प्रदत्त पंजीकरण शुल्क तथा कंपनी के नाम के लिए अनुमोदन शुल्क भी बी से वसूल करता है । कंपनी के पंजीकरण तथा नाम के अनुमोदन के लिए रजिस्ट्रार द्वारा प्रभारित शुल्क बी पर अनिवार्य रूप से आरोपित होते हैं। ए केवल उन शुल्कों की अदायगी में वास्तविक अभिकर्ता के रूप में कार्य कर रहा है। इसलिए ऐसे व्ययों की ए द्वारा वसूली एक भगतान है, ए द्वारा बी को की गई प्रदाय के मूल्य का भाग नहीं है।
कुछ विशिष्ट प्रदायों के संबंध में मूल्य का निर्धारण
मूल्य निर्धारण नियमों के अंतर्गत निम्नलिखित पांच विशिष्ट प्रदायों का करयोग्य मूल्य निर्धारित करने की विधियां भी निर्धारित की गई हैं। इनका इस्तेमाल प्रदायकर्ताओं द्वारा किया जा सकता है यदि उनकी ऐसी इच्छा हो।
क) मुद्रा परिवर्तन सहित विदेशी मुद्रा की खरीद अथवा बिक्रीख) किसी एयर ट्रैवेल एजेंट द्वारा हवाई यात्रा हेतुटिकट की बुकिंगग) जीवन बीमा का व्यवसायघ) सेकण्ड हैंड वस्तुओं की आपूर्ति का मूल्यड़.) शोध्य वाउचर/स्टाम्प/कूपन/टोकन का मूल्य
इन आपूर्तियों के निर्धारण से संबंधित विशेष उपबंध निम्नलिखित हैं:- मुद्रा परिवर्तन सहित विदेशी मुद्रा की खरीद अथवा बिक्री सेवा के मूल्य निर्धारण से संबंधित विशेष प्रावध विकल्प – 1 प्रकरण 1: संव्यवहार जहां विनिमय की गई मद्राओं में से एक भारतीय रुपये ह करयोग्य मूल्य मुद्रा की क्रय दर अथवा बिक्री दर के बीच अंतर तथा विनिमय के समय उस मुद्रा के लिए आर बी आई की संदर्भ दर है जो विदेशी मुद्रा की कुल ईकाइयों द्वारा गुणित होती है। तथापि, यदि किसी मद्रा के लिए आर बी आई की संदर्भ दर उपलब्ध नहीं है तो कर योग्य मूल्य मुद्रा परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति द्वारा प्रदत्त/प्राप्त भारतीय रुपयों की सकल राशि का 1% है | प्रकरण 2: संव्यवहार जहाँ विनिमय की गई मद्राओं में से एक भारतीय रुपये हैं करयोग्य मूल्य दो राशियों जो मुद्रा परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति द्वारा भारतीय रुपयों में दो मुद्राओं में से एक को बदल करके (आर बी आई संदर्भ दर) प्राप्त किया होगा, में से निम्नतर राशि का 1% होगा। विकल्प -2 सेवा की आपूर्ति करने वाला व्यक्ति भी कर योग्य मूल्य का पता लगाने के लिए निम्नलिखित विकल्प का प्रयोग कर सकता है, तथापि, एक बार विकल्प का प्रयोग कर लेने पर वह वित्तीय वर्ष के शेष भाग के दौरान इस विकल्प को वापस नहीं ले सकता है
एक लाख रुपए तक की धनराशि के लिए विनिमय की गई मुद्रा की सकल राशि का एक प्रतिशत, बशर्ते न्यूनतम धनराशि दो सौ पचास रुपए हो।एक हजार रुपये तथा एक लाख से अधिक और दस लाख रुपये तक की धन राशि के लिए विनिमय की गई मुद्रा की सकल राशि का आधा प्रतिशतपांच हजार रुपये तथा दस लाख से अधिक धनराशि के लिए विनिमय की गई मुद्रा की सकल राशि के एक प्रतिशत का दसवां भाग बशर्ते अधिकतम धनराशि साठ हजार रुपए हो।
किसी एयर ट्रवेल एजेंट द्वारा हवाई यात्रा के लिए टिकटों की बुकिंग की सेवा के मूल्य के निर्धारण के संबंध में विशेष उपबंध करयोग्य मूल्य घरेलू यात्रा के मामले में मूल किराये का 5% तथा अंतरराष्ट्रीय यात्रा के मामले में मूल किराये का 10% है। मूल किराये का तात्पर्य हवाई किराये के उस भाग से है जिस पर एयरलाइन द्वारा एयर ट्रैवेल एजेंट को सामान्य तौर पर कमीशन का भुगतान किया जाता है। वाक्यांश ‘मूल किराये’ का तात्पर्य हवाई किराये के उस भाग से है जिसपर एयरलाइनों द्वारा एयर ट्रैवेल एजेंट को सामान्य तौर पर कमीशन का भुगतान किया जाता है। जीवन बीमा व्यवसाय के संबंध में सेवा के मूल्य के निर्धारण के संबंध में विशेष उपबंध करयोग्य मूल्य बीमा पॉलिसी की प्रकृति के साथ भिन्न-भिन्न होता है। विस्तृत ब्योरा निम्न्लिखित है:-
जहां पॉलिसी में जोखिम कवरेज और निवेश से संबंधित दोहरे लाभ हैं- करयोग्य मूल्य प्रभारित सकल बीमा किस्त से निवेशों अथवा बचतों के लिए विनिहित धनराशि को घटाकर किया जाता है यदि ऐसा विनिधान बीमा किस्त के संग्रहण के समय पॉलिसी धारक को संसूचित किया जाता हो।एकल बीमा किस्त वाली वार्षिक पॉलिसी जहां निवेशों तथा बचतों के लिए विनिधान की सूचना पॉलिसी धारक को नहीं दी जाती है- करयोग्य मूल्य पॉलिसी धारक से प्रभारित एकल बीमा किस्त का दस प्रतिशत है।
अन्य मामले – पहले वर्ष पॉलिसी धारक से प्रभारित बीमा किस्त का पच्चीस प्रतिशत तथा उत्तरवर्ती वर्षों के लिए प्रभारित बीमा किस्म का साढ़े बारह प्रतिशत तथापि, जहां बीमा पॉलिसी में के वल जोखिम कवरेज का लाभ है तो कर योग्य मूल्य पॉलिसी धारक से प्रभारित समस्त बीमा किस्त है।
सेकण्ड हैंड वस्तुओं के मूल्य के निर्धारण के संबंध में विशेष उपबंध
सेकण्ड हैंड वस्तुओं अर्थात इस्तेमाल की गई अथवा ऐसे छोटे-छोटे प्रसंस्करण जिससे वस्तुओं की प्रकृति नहीं बदलती है, के बाद वस्तुओं के प्रदाय का कर योग्य मूल्य क्रय मूल्य तथा क्रय मूल्य के बीच का अंतर होगा बशर्ते ऐसी वस्तुओं की खरीद पर किसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं लिया गया हो। तथापि, यदि विक्रय मूल्य क्रय मूल्य से कम है तो उस ऋणात्मक मूल्य को नजर अंदाज कर दिया जाएगा। सेकंड हैंड वस्तुओं के प्रदायकर्ता को कर भुगतान के बाद ऐसी वस्तुओं की खरीद करने वाले व्यक्तियों को इस मूल्य निर्धारण नियम द्वारा तभी प्रशासित किया जाएगा जब वे ऐसी इनपुट आपूर्ति पर इनपट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठाते हैं। यदि इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया जाएगा तो ऐसी आपूर्ति को सामान्य जीएसटी मलू्य निर्धारण द्वारा प्रशासित किया जाएगा।
व्यतिक्रमी (Defaulting) कर्जदार से वापस ली गई वस्तुओं के प्रदाय का मूल्य
यदि व्यतिक्रमी कर्जदार पंजीकृत व्यक्ति नहीं है तो क्रय मूल्य ऐसे कर्जदार के हाथ में क्रय मूल्य होगा जिसे क्रय की तिथि तथा ऐसी वस्तु को वापस लेने वाले व्यक्ति द्वारा निपटान की तिथि के बीच प्रति तिमाही अथवा उसके भाग के लिए पांच प्रतिशत तक न्यून कर लिया जाता हो। तथापि, यदि व्यतिक्रमी कर्जदार पंजीकृत हैतो वस्तु को पुनः वापस लेने वाली कर्जदाता एजेंसी वास्तविक/कल्पित क्रय मूल्य से बिना किसी कटौती के आपूर्ति मूल्य पर जीएसटी का निर्वहन करेगी।
शोध्य वाउचर/स्टाम्प/कूपन/टोकन के मूल्य के निर्धारण के संबंध में विशेष उपबंध
किसी टोकन अथवा वाउचर अथवा कूपन अथवा स्टाम्प (डाक टिकट को छोड़कर) का मूल्य जो वस्तुओं अथवा सेवाओं अथवा दोनों के विरूद्ध शोध्य (redeemable) है, ऐसे टोकन, वाउचर, कूपन अथवा स्टाम्प के विरुद्ध वस्तुओं अथवा सेवाओं अथवा दोनों के मौद्रिक मूल्य के समतुल्य होगा। असंबंद्ध व्यक्तियों के बीच अनुसूची I के भाग 2 में यथा सदंर्भित सेवा प्रदाताओं के अधिसूचित वर्ग द्वारा प्रदत्त कर योग्य सेवाओं का मूल्य | जहां कहीं इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध हो, वहां करयोग्य मूल्य को शून्य माना जाता है। मूल्य के निर्धारण के लिए भारतीय रुपयों को छोड़कर मुद्रा विनिमय की दर | कर योग्य वस्तुओं अथवा सेवाओं अथवा दोनों के मूल्य निर्धारण लिए विनिमय दर सीजीएसटी अधिनियम की धारा 12 अथवा धारा 13 के संदर्भ में यथा निर्धारित आपूर्ति की अवधि की तिथि को उस मुद्रा के लिए आरबीआई की संदर्भ दर होगी। एकीकृत कर, केन्द्रीय कर, राज्य कर, संघ राज्य क्षेत्र कर सहित आपूर्ति का मूल्य। जहां आपूर्ति का मूल्य जीएसटी सहित होगा, वहां कर राशि का निर्धारण निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा, कर की राशि = (करों सहित मूल्य x% में जीएसटी कर दर)/(100+% में जीएसटी कर की दरों का योग) उदाहरण के लिए: यदि कर सहित मूल्य 100/- रुपये है और लागू जीएसटी कर की दर 18% है तो, कर की राशि = (100×18)/(100+18)= 1800/118 = 15.25 रुपये Recommended Articles –
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